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Saturday, April 2, 2016

गब्बर इज बैक!

एक आदमी की कार पार्किंग से चोरी हो गयी. दो दिन बाद देखा तो कार वापस उसी जगह पार्किंग में ही खड़ी थी। अंदर एक लिफाफा था उसमे एक माफीनामा था जिसमे लिखा था, "माँ की तबियत अचानक बिगड़ जाने से रातों रात बड़े अस्पताल लेकर जाना आवश्यक था लेकिन इतनी रात में और छुट्टियों के सीजन में गाडी मिली नहीं इसकी वजह से आपकी गाड़ी को उपयोग में लाया। आपको तकलीफ देने क लिये खेद है... गाडी में जितना पेट्रोल था उतना ही है। आपको गाड़ी के इस्तेमाल की एवज में कल रात की "गब्बर इज बैक" सिनेमा की टिकट आपके परिवार के लिए कार में रखी हैं। मुझे बड़े दिल के साथ माफ़ करिये... ये विनती है आपसे।`

खत में कहानी असल लगने से और गाड़ी जैसी की तैसी वापस सही सलामत मिलने से परिवार शांत हो गया और दूसरे दिन "गब्बर इज बैक" देखने के लिए पहुंचे। भीड़ इतनी ज्यादा इतनी थी की वहाँ पर टिकट ब्लैक में मिलना संभव नहीं था; उन्होंने आराम से बैठकर फिल्म देखी। 

रात में घर पहुंचे तो घर का दरवाजा टूटा हुआ था अंदर जाकर देखा तो सब कीमती सामान गायब था। बाहर टेबल पे एक लिफाफा पडा था, जिस पर लिखा था "फ़िल्म पसंद आयी कि नहीं?

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